वर्तमान में योग अध्यात्म का विषय कम मानसिक और शारीरिक सेहत का विषय ज्यादा बन गया है। अब तो वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं कि यदि नियमित योग किया जाए तो व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से हमेशा स्वस्थ रह सकता है। इसी के साथ वह जीवन में सफलता हासिल भी कर सकता है। संपूर्ण विश्व में योग की धूम है। पश्चिमी देशों में योग और योगासन को लेकर बहुत उत्साह है क्योंकि यह लोगों के जीवन और व्यक्तित्व को बदल रहा है।
1. मानसिक सेहत- आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु, प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोग ग्रस्त हो चला है। आधुनिक व्यथित चित्त या मन अपने केन्द्र से भटक गया है। उसके अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होने में संतुलन नहीं रहा। अधिक अति बहिर्मुख जीवन जीने में ही आनन्द लेते हैं जिसका परिणाम संबंधों में तनाव और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।
शारीरिक सेहत- निरन्तर प्राणायाम और योग करते रहने से शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर सेहतमंद बन जाता है। शरीर एकदम लचीला होकर फीट हो जाता है। आप हरदम एमदम तरोताजा और खुद को युवा महसूस करेंगे। मेरूदंड सुदृढ़ बनता है जिससे शिराओं और धमनियों को आराम मिलता है। शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं। यदि आप किसी भी प्रकार की बीमारी या रोग से ग्रसित हैं तो अंग संचालन, प्राणायाम करने के बाद धीरे-धीरे योगासन भी करते रहेंगे तो निश्चित ही आप किसी भी रोग पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
बदल जाता है व्यक्तित्व- योग करते रहने से व्यक्ति का व्यक्तित्व और चरित्र बदल जाता है। वह अपने भीतर से नकारात्मकता और बुरी आदतों को बाहर निकाल देता है। 2 तरह के लोग होते हैं- अंतर्मुखी और बहिर्मुखी। लेकिन योग करते रहने से व्यक्ति दोनों के बीच संतुलन स्थापित करना सीख जाता है। योगी व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग ही होता है। भीड़ में उसकी अलग ही पहचान बनती है। वह सबसे अलग ही नजर आता है।
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